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लप्रेक :टुरा और टुरी

टुरा और टुरी : लप्रेक ***************** १)पूर्वार्ध ^^^^^^^^ कहते है जमीन और आसमान सिर्फ मिलते हुए दिखते हैं ,हक़ीक़त में मिलते कभी नही । तो एक ऐसी ही जगह जहां ज़मीन और आसमान मिलते दिख रहे थे एक टुरी खड़ी थी । उसके जूड़े में फूल था । उसकी अँजुरी में फूल थे उसकी साँसों में फूल थे उसकी आँखों मे फूल थे वो उस तरफ देख रही थी जिस तरफ से एक टुरा आता दिख रहा था । दिख रहा था ...बस ..आ नही रहा था । टुरा अचानक दूसरी गली में मुड़ गया । इस स्टोर से उस स्टोर इस बिल्डिंग से उस बिल्डिंग उसकी जेब मे एक लंबी लिस्ट थी लिस्ट बड़ी मंहगी थी और वह बेहद जल्दी में था । टुरी खड़े खड़े ऊँघने लगी टुरा भागते भागते बहुत दूर निकल गया । २)उत्तरार्ध ^^^^^^^^^^^^ टुरा बड़ा होकर 'ही' बना । 'ही' बड़ा आदमी बना । टुरी बड़ी होकर 'शी' बनी । 'शी' लेखिका  बनी । 'शी'को अब भी विश्वास था कि ज़मीन और आसमान का मिलना स्वप्न नही सच है । सो उसने टिकट कटाया और मुम्बई जा पहुंची । 'ही' मिला जरूर लेकिन  लंबी गाड़ी ऊंचे बंगले और मोटे  बैंक बैलेंस के नीचे दबकर उसका चेहरा वीभत्स हो
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14 सितम्बर :हिंदी के कर्म कांड से आगे सोचना होगा

14 सितम्बर हिंदी के कर्म  कांड का सरकारी  दिन है । कहते हैं जब कर्म से फल ना मिले तो कांड अवश्य करें । सो आज एक निर्माणी में हिंदी पखवाड़े के दौरान मुख्य अतीथि होकर मैंने भी हिंदी कर्म का कांड किया । मैंने बात आमंत्रण पत्र से शुरू की । आमंत्रण पत्र में राजभाषा अधिकारी के हस्ताक्षर अंग्रेजी में थे । हिंदी की चिंदी लहराने वाले हम में से कितने अपने हस्ताक्षर हिंदी में करते हैं । कार्यालय की नाम पट्टिका और बंगले के गेट  पर टँगा  शिलापट्ट हिंदी में खुदवाते हैं । हम तो अपने कुत्ते का नाम तक हिंदी या मादरी जुबान में नही रखते । हद तो तब हो गयी है जब मेरा कवि मित्र आपसी बातचीत में अपने बिल्डर  को श्वान और उसकी महिला मित्र को मादा श्वान कहकर संबोधित करने लगा । मैंने टोका सीधे सीधे *कुत्ता* क्यो नही बोलते तो कहने लगा *आदरणीय ...जिह्वा का स्वाद बिगड़ जाता है* तो हम में कोई स्वाद तो कोई सम्मान बिगड़ने के डर से जीवित हिंदी से दूर जाते हुए या तो राजभाषा टाइप की बनावटी हिंदी के मुँह में जा घुसा है या अंग्रेजी के पिछवाड़े में । हिंदी का बंटाढार जितना विलायती टट्टुओं ने किया उससे कम तत्सम पिट्ठुओं न

4 लघु कथायें

[06/08, 12:20 PM] hanumantkiahorsharma: लघु कथा : बेडटच ___________________________  झन्नाटे दार तमाचे के साथ गूंजा "get out .. bastard" .. इसके साथ भड़ाक से दरवाज़ा बंद हुआ और उसकी की आँखों के आगे अँधेरा छा गया | कुछ मिनट बाद चेतना लौटी तो रील घूमनी शुरू हुई | आज स्कूल जरा देर से छूटा था उस पर बुरी तरह से गर्मी | बच्चे भुने आलू की तरह दिख रहे थे | स्कूल से  रिक्शे में बच्चो को बिठाकर वो भवानी की  जय बोलकर  चल दिया | पसीने से पेंट आधी भीग चुकी  थी कि कोहिनूर बिल्डिंग आ गयी | जहाँ वो रानी बिटिया को छोड़ता है |  रानी बिटिया को देखता तो उसे गाँव में छोड़ी अपनी नातिन  तरोई याद आने लगती | दुबले पतले हाथ पाँव सुकुमार काया जैसे छानी चढ़ी तरोई ,,जब वह नातिन को  तरोई कहकर पुकारता तो वो मुँह बिचकाकर कहती.... "तरोई गयी पेट में....मै शीला हूँ " | आज जब रानी बिटिया भारी बस्ता उठाकर थके कदमो से आगे बढ़ी तो उसे जाने क्या सूझी और वो बोल उठा 'रुको....' | गेट पर एक नज़र दौड़ाई सिक्योरिटी गार्ड नहीं था | बाकी बच्चो को रिक्शे पर छोड़ वो तेज़ी से रानी बिटिया की तरफ लपका और उसके कंधे

कीड़ा और अमन के रखवाले

कीड़ा _______________ बिटिया जोर से चिल्लाई ..'पापा ...' | मै लपक कर पहुंचा तो गमले के पास डरी खड़ी थी | उसने अंगुली का इशारा किया तो मैंने देखा एक जहरीला सा दिखता कीड़ा गमले के पीछा छिपा था | उसे भगाना चाहा तो वो स्कूटर के पीछे जा छिपा , वहां से खदेड़ा तो जूतों के रेक के पीछे जा छिपा | अंत में तय किया गया कि इससे पीछा छुड़ाने के लिए इसे मार ही डाला जाये | जिस क्षण उसके सर को मै डंडे से कुचलने जा ही रहा था | ठीक उसी क्षण वहां यक्ष खड़ा हो गया | यक्ष ने कहा " बेशक उसे मार डालो लेकिन पहले एक प्रश्न का जवाब दो क्या तुम उन जहरीले कीड़ो को भी ढूंढकर मार सकते हो जो कानून , धर्म , राष्ट्र , संस्कृति की आड़ में छिपे हैं ?" मै निरुत्तर था | अब वहाँ ना यक्ष था ना कीड़ा || अमन के रखवाले  ___________________________ उस गिरोह का दावा था कि वो अमन का  रखवाला  है | चौराहों पर उनके बड़े-बड़े इश्तहार चिपके थे जिनमे में अत्याधुनिक हथियारों से सुसज्जित अमन की अपील के साथ खड़े दिखते थे | एक दिन दोपहर को सूरज डूब गया | खबर आयी कि उन्होंने शहर के उस नंगे फ़कीर को गोली मार दी जो ग

yoga हवाबाण

yoga हवा बाण  _______________________________ 'yoga हवा बाण' हमारे इंटर नेशनल ब्रांड हैं | बैलगाड़ी से रेलगाड़ी , वायुयान से जल यान , हवा-पानी - धरा -आकाश वे सर्वत्र हमें विश्व गुरु बनाने की विश्व विजय यात्रा के अश्व मेधी घोड़े हैं | राष्ट्र के गिरते स्वास्थ्य और बिगड़ते चरित्र को वे एक डोज से ठीक करने निकले हैं yoga हवा बाण हर मर्ज़ की एक दवा है | बेडरूम में तनाव हो या बार्डर पर | भ्रष्टाचार हो ,व्याभिचार हो ,बलात्कार हो , दंगा-फसाद हो , भुखमरी -कालाबाजार हो , मरता किसान हो ,परेशान इंसान हो , बस्तर-कश्मीर हो , सियाचीन -फिलिस्तीन हो , ओबामा हो -ओसामा हो ,डोनाल्ड या रोनाल्ड हो बस हवा खींचो हवा छोड़ो ..सब ठीक होगा चिंता छोड़ो | तो yoga हवाबाण की कहानी बड़ी दिलचस्प है | लापता भैंस जो ढूंढते -ढूंढते वे हिमालय के दुर्गम हिम शिखर पर जा पहुंचे वहां उन्हें भैंस तो नहीं मिली अलबत्ता yoga हवाबाण जरुर मिला जिसे वे कच्छे में बांधकर तेज़ी से वापस लौटे और कुकरमुत्ते की तरह देश के कोने कोने में yoga हवा बाण की फ्रेंचाइजी ऊग आयी | देखते-देखते उनके इस लिमटेड कारोबार में अनलिमिटेड

तहखाना और राजयोग

तहखाना इस तयखाने की जानकारी में सिर्फ साहब और उनके चार सिपहसलार को ही   हैं | छटवां सिर्फ   मैं हूँ | साहब   के इस   तहखाने   में ऐसे ऐसे   राज़ हैं कि बाहर आ   जायें तो   हंगामा हो   जाये | आप   पूछे इसके पहले मै आपको बता   दूँ   कि मै आपको   कुछ   बता नहीं सकता सिर्फ दिखा सकता   हूँ वो भी अपने उन   इशारों से जिन्हें   आप   पढने   की योग्यता   शायद   नहीं   रखते | दरअसल मुझे इस विशेष तहखाने तक पहुँचने के अवसर की    योग्यता   अपनी सिर्फ एक   जन्मजात अयोग्यता के   कारण हासिल   हो सकी है और वो है   मेरा   जन्मजात   गूंगा और अनपढ़ होना | ना बोल सकता   ना लिख सकता इसलिए कोई खतरा   ना   समझकर साहब ने तहखाने में होने वाली गप्त वार्ताओं के समय   अपनी और मंडली की   सेवा के लिए   मेरा   चयन   किया | बोतल , सोडा , चखना , सिगरेट और खाना   परोसने भर तक मुझे वहां   रहने   की   इजाज़त होती है | बस उतने   के दरम्यान जितना सुन-देख लेता उतना ही सुन-देख कर ऊपर   वाले   से   दुआ करता हूँ कि मुझे बहरा   और अंधा   भी   कर   दे तो   तेरा   अहसान   हो | तो उस   दिन जीत   का   जश्न था ..साह

जाड़े की उस रात

जाड़े की उस रात +++++++++++++++ सालीवाड़ा में वो जाड़े की एक रात थी | यहाँ से जबलपुर जाने वाली गाडी साढ़े बारह पर थी |जहाँ से बनारस के लिए मेरी ट्रेन सुबह चार बजे थी |   सालीवाड़ा  का बीमार और बदबूदार बस स्टाप चिथड़ी रजाइयों और कथरियों में घुटने मोड़ कर घुसा यहाँ वहां दुबका पड़ा था |  चाय-सिगरेट के टपरे पर एक पीला बल्ब दिलासा देते हुए जल रहा था जिसके नीचे बैठा में अपनी बस के इंतज़ार में था | जाड़े में शरीर काम करना भले बंद कर दे दिल काम   करना बंद नहीं करता और कमबख्त  यादों को जाड़ा नहीं लगता वे वैसी ही हरारत से हमारे भीतर मचलती रहती हैं | तो परियोजना का काम पूरे जोर पर था और मैं अपने घर से सात सौ किलोमीटर दूर भीमकाय मशीनों और मरियल मजदूरों के बीच पिछले तीन हफ्तों से मोबाइल पर वीडियो चैट करके जाड़े में गर्मी पैदा करने की नाकाम कोशिश जारी रखे हुए था |   सरकार किसी भी हालात में उपचुनाव में जीत पक्की करनी चाहते थी  इसलिए ऊपर से दवाब बना हुआ था,जिसके चलते मै घर जाने का कोई रिस्क नहीं ले रहा था | इस परियोजना पर ही हमारी कम्पनी की साख निर्भर थी और कम्पनी की साख पर हमारी नौकरी |मेरे बीबी ब